Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -11-May-2022 ए कुम्हार तू शिल्पकार

रचीयता- प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक- ए कुम्हार तू शिल्पकार

ए कुम्हार तू संसार का सलाहाकार,
तू भी बड़ा कलाकार।
मिट्टी को देता तू आकार,
आकार होता अद्भुत कार।
मिट्टी को नए रूप में गढता,
बनाता तू प्रेरणा कार।
तू कहलाता शिल्पकार।।

ए कुम्हार तू शिल्पकार,
तू ही है रचनाकार।

जब बनी तेरे हाथ से चिल्म,
चिल्म में भरा गया गाजा।
गांजे से हुआ धुआं ही धुआं।।
पर ना चिलम बुरी थी,
ना गांजा बुरा था।
बुरी थी तो इंसान की सोच,
जो अपनी फितरत नहीं बदल सका।

ए कुम्हार तू शिल्पकार,
तू ही है रचनाकार।

जब तूने बनाई गगरी,
छलक उठा गगरी में जल।
जल ने किया मन को ठंडक,
मन की प्यास हुई तृप्त।

ए कुम्हार तू शिल्पकार,
तू ही है रचनाकार।

जब तू ने बनाया दीपक,
दीपक का हुआ नया सृजन।
जब दीपक हुआ प्रज्वलित,
हो गया चारों तरफ  प्रदीप्त।
किया तूने रोशनी को आगमित,
अंधेरे को किया तूने भ्रमित।

ए कुम्हार तू  शिल्पकार,
तू ही रचनाकार।

एक कुम्हार तू है कलाकार,
सृष्टि का  इतिहासकार।
मिट्टी का तू सृजनकार,
तू कहलाया शिल्पकार।






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19 Comments

Shnaya

12-May-2022 03:14 PM

👏👌🙏🏻

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Shrishti pandey

12-May-2022 11:06 AM

Nice

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Punam verma

12-May-2022 10:22 AM

Nice

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